🔍 यह क्यों हो रहा है?
- क्लैरिटी की कमी और खरीदारों का इन्तज़ार
जैसे ही FTA की घोषणा हुई, JLR (Jaguar Land Rover) के डीलर और खरीदार दोनों रुके हुए दिखे —
“Customers have put a hold on purchases… waiting to see some reduction in prices soon.”
इसका मतलब यह है कि खरीदार आशा कर रहे हैं कि जल्द ही रियायतें आएँगी तो क्यों अभी यानी उच्च कीमत पर खरीदें।
- स्थानीय उत्पादन (CKD) मॉडल
Mercedes-Benz, BMW जैसे ब्रांडों का लगभग 95% मॉडल इंडिया में CKD (Completely Knocked Down) के रूप में तैयार होता है और उन पर 15‑16.5% का ही ड्यूटी लगता है—
इसलिए FTA लागू होने से लोक-प्रोडक्टेड मॉडल की कीमतों पर कोई बड़ा फर्क नहीं आने वाला ।
बस सीमित संख्या (quota) वाले फुल-इम्पोर्टेड (CBU) मॉडल ही कम ड्यूटी का लाभ उठा पाएँगे, लेकिन उनमें भी बदलाव धीरे-धीरे (10–15 वर्ष) आयेंगे।
- क्वोटा आधारित लाभ और संरचनात्मक सीमाएँ
FTA के तहत केवल निश्चित मात्रा (quota) तक ड्यूटी 100% से केवल ~10% तक घटेगी, बाक़ी मात्रा पर धीरे-धीरे छूट मिलेगी ।
इसका मतलब है कि व्यापक स्तर पर कीमतें जल्द ही नहीं गिरेंगी।
- बाजार की लागत-संरचना में कोई बड़ा बदलाव नहीं
डील उपलब्ध तो है, पर क्वोटा सीमित और CKD मॉडल ड्यूटी की पहुँच में पहले से ही आ रहे थे।
यूनिट लागत, चिप्स, सामग्री लागत, और वाहन उत्पादन ढांचे पर FTA का दूरगामी असर नहीं —
इसलिए Mercedes-Benz जैसे ब्रांडों ने कहा:
“Most of the cars we sell are locally produced… limited impact” ।
🏁 संक्षेप में
फैक्टर विवरण
✅ खरीदारों की प्रतीक्षा FTA लागू होने के बाद कीमतों में कटौती की उम्मीद
🏭 स्थानीय असेंबली 95% लोकल CKD, फटाफट कीमतों में बदलाव नहीं संभव
📉 सीमित लाभ क्वोटा-आधारित छूट, धीमी प्रक्रिया वाली
🌐 संरचनात्मक सीमाएँ उत्पादन लागत और वाहन संरचना पर सीमित प्रभाव
👉 इस वजह से, भारतीय बाजार में लक्जरी कारों की बुकिंग फिलहाल सुस्त दिख रही है—लेकिन जैसे ही डील लागू होगी (संभावित मध्य‑2026 के आसपास), और ब्रांड कीमतों में छूट या नई ऑफ़र पेश करेंगे, तब पुनः उत्साह लौट सकता है।