आपका सवाल उत्तर प्रदेश में 5,000 स्कूलों की बंदी (closure/merger) पर सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने वाली जनहित याचिका से संबंधित है। आइये संक्षेप में इस पूरी स्थिति को समझें:
🧾 क्या मामला है?
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक सरकारी स्कूलों में कम छात्र संख्या (70 या उससे कम) वाले लगभग 5,000 स्कूलों को बंद कर उन्हें नजदीकी स्कूलों में मर्ज (merger) करने का फैसला किया।
इस निर्णय का उद्देश्य संसाधनों का बेहतर उपयोग बताकर शिक्षकों की कमी एवं खर्चे कम करना बताया गया था।
लेकिन आलोचकों ने कहा कि इस कदम से लगभग 3.5 लाख छात्रों को निजी स्कूलों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिससे गरीब और पिछड़े वर्गों को शिक्षा के अधिकार से वंचित होना पड़ेगा।
⚖️ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
जनहित याचिका (PIL) सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जिसमें यह तर्क पेश किया गया कि स्कूलों को बिना कानूनी मान्यता और बिना सर्वसम्मति के बंद/मर्ज किया जाना संविधान—विशेषकर Article 21A (शिक्षा का मौलिक अधिकार) तथा RTE Act, 2009 (Right to Education Act) का उल्लंघन करता है।
याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस निर्णय को भी चुनौती दी गई है जिसमें यह मर्जिंग की योजना को अनुमति दी गई थी—जिसमें 51 बच्चों की याचिका खारिज की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का आश्वासन दिया और कहा कि यह एक संवेदनशील नीतिगत मुद्दा है।
🚨 राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
AAP सांसद संजय सिंह ने व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जो इस नीति को मनमाना, गैर-कानूनी एवं संवैधानिक अधिकारों का हनन बताते हैं।
Samajwadi Party की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया आई है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि मंगलवार यह फैसला उन बैलेट-बाक्स क्षेत्रों में स्कूल बंद करने का राजनीतिक उद्देश्य था जहाँ पार्टी ने चुनाव में जीता था—विशेषकर PDA (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक) इलाकों में। उन्होंने दावा किया कि 27,000 से अधिक स्कूल पहले ही बंद किए जा चुके हैं।
इस प्रदर्शन व विरोध की वजह से कुछ जगहों पर नोएडा में 10 स्कूल फिर से खोल दिए गए हैं। वहां शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया कि ये स्कूल स्थायी रूप से बंद नहीं किए गए थे, और आवश्यकता अनुसार पुनः आरंभ किए जा सकते हैं।
📋 रफ़्तार तालिका
पहलू विवरण
स्कूल बंद/मर्ज लगभग 5,000 प्राथमिक सरकारी स्कूल
बंद करने का कारण 70 से कम छात्रों में संसाधन बचत, दक्षता
प्रभावित छात्र लगभग 3.5 लाख, निजी स्कूलों में प्रवृत्त
सुप्रीम कोर्ट में PIL दाखिल, नीतिगत मामले पर शीघ्र सुनवाई का आश्वासन
राजनीतिक विरोध AAP, SP सहित अन्य ने निर्णय को अपारदर्शी व पक्षपाती बताया
कुछ स्कूल पुनः खुले नोएडा में 10 स्कूल फिर से खोलने का आदेश
📌 निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि स्कूल बंद करना सरकार का नीतिगत निर्णय है, लेकिन इस पर कानूनी वैधता और बच्चों के अधिकारों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है।
याचिका में यह तर्क रखा गया है कि बिना उचित वैधानिक प्रक्रिया के विद्यालय बंद करना राइट टू एजुकेशन एक्ट एवं संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
इस मामले की सुनवाई से तय होगा कि सरकार नीति लागू करने में कितनी संवेदनशील व वैधानिक रूप से मजबूत मौजूद है।