खरीफ बुवाई में वृद्धि, मानसून रहा अनुकूल ग्रामीण मांग बढ़ने की उम्मीद

🌾 खरीफ बुवाई में बारिश और ग्रामीण मांग का मेल

✅ मजबूत और समय पर बारिश ने खरीफ बुवाई को तेजी से आगे बढ़ाया

जून में मानसून 9% से अधिक औसत बारिश लेकर आया, जिससे खरीफ फसल क्षेत्र में 11.3% तक वृद्धि हुई (rice में 47%, pulses में 37%) — सभी प्रमुख राज्यों में सवाय किया गया।

Bank of Baroda और कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, कुल बुवाई क्षेत्र क़रीब 70.83 मिलियन हेक्टेयर पहुँच गया, जो 4.1% साल-दर-साल वृद्धि दर्शाता है (17 जुलाई 2025 तक) ।

11 जुलाई तक डाटा के मुताबिक 59.78 मिलियन हेक्टेयर पर बुवाई (>6.6% वृद्धि) हो चुकी थी, जिसमें coarse cereals और pulses ने स्पष्ट बढ़त दिखाई है।

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📈 ग्रामीण मांग में वृद्धि से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती

ICRA की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2025 तक खरीफ बुवाई लगभग 76% पूरी हो चुकी थी, जिससे अग्रिम ग्रामीण मांग और कृषि GVA में लगभग 4.5% वृद्धि की उम्मीद बनी है। ग्रामीण मजदूरी भी बढ़कर ~4% पहुँच गई है, जिससे उपभोग मांग बढ़ी है।

Mint और Reuters की रिपोर्ट में भी उल्लेख है कि अच्छा मानसून खाद्य कीमतों को सिंक करता है, ग्रामीण आय को बढ़ाता है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में उछाल आता है और बैंक ऑफ़ इंडिया के अनुसार कृषि‑MSME सेक्टर में नया उत्साह जड़ा है।


📊 सारांश तालिका

कारक प्रभाव

मानसून की स्थिति जून में बारिश औसत से 9% ऊपर, जुलाई-अगस्त भी सामान्य से बेहतर उम्‍मीद
कुल खरीफ बुवाई क्षेत्र जून के अंत तक ~11% वृद्धि; मध्य जुलाई द्वारा ~4.1–6.6% तक बढ़ी
मुख्य फसलें Rice (+47%), pulses (+37%), maize और coarse cereals भी तेजी से बढ़े
ग्रामीण आय और उपभोग ग्रामीण मजदूरी 0% से 4%; ग्रामीण मांग में नई तेजी; कृषि GVA ~4.5% तक बढ़ने की संभावना


✨ निष्कर्ष

इस बार का गगनसून समय पर और अधिक मात्रा में होने के कारण किसानों को जल्दी बुवाई शुरू करने का मौका मिला — जो बेहतर उत्पादन और बाजार मांग दोनों को जनरेट कर रहा है। ग्रामीण वास्‍तविक रूप से उपभोग और निवेश के नए अवसर देख रहा है, जिससे समग्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ताकत मिली है।

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