2011 की विनाशकारी सुनामी की यादें आज फिर ताजा हो गई हैं, क्योंकि जापान से लेकर अमेरिका तक एक बार फिर सुनामी का खतरा मंडराता नजर आ रहा है। ये डर इसलिए भी ज्यादा गहरा है क्योंकि 2011 में जापान में आई सुनामी ने न सिर्फ लाखों लोगों की जिंदगी तबाह कर दी थी, बल्कि फुकुशिमा परमाणु संयंत्र हादसे जैसे वैश्विक संकट को भी जन्म दिया था।
2011 की त्रासदी की झलक:
तारीख: 11 मार्च, 2011
भूकंप की तीव्रता: 9.0 मैग्नीट्यूड — जापान के इतिहास में सबसे शक्तिशाली
प्रभाव:
भूकंप के कुछ ही मिनटों बाद भयावह सुनामी ने जापान के उत्तर-पूर्वी तट को तहस-नहस कर दिया।
लगभग 20,000 लोगों की मौत हो गई।
फुकुशिमा डाईची न्यूक्लियर प्लांट को गंभीर नुकसान पहुंचा, जिससे रेडिएशन लीक हुआ और एक न्यूक्लियर इमरजेंसी घोषित की गई।
मौजूदा स्थिति:
हालिया भूकंपीय गतिविधियों और समुद्र में हलचल के कारण सुनामी अलर्ट जारी किया गया है। हालांकि इसकी तीव्रता और दिशा को लेकर अभी स्पष्ट जानकारी आनी बाकी है, लेकिन इससे पैसिफिक रिंग ऑफ फायर (जापान, फिलीपींस, इंडोनेशिया, और अमेरिका का वेस्ट कोस्ट) में सतर्कता बढ़ा दी गई है।
लोग क्यों डरे हुए हैं?
2011 की घटनाएं अभी भी लोगों के मन में ताजा हैं।
समुद्र के किनारे बसे इलाकों में लोगों को तुरंत ऊंचाई वाले स्थानों पर जाने के निर्देश दिए गए हैं।
जापान और अमेरिका दोनों में आपातकालीन तैयारियों को अलर्ट पर रखा गया है।