पश्चिम बंगाल के नादिया में दिखा अद्भुद नज़ारा, नाग-नागिन का जोड़ा नृत्य करता नज़र आया।

आपका वाक्य एक दिलचस्प प्राकृतिक घटना को दर्शाता है। यह सही है कि नाग-नागिन के जोड़े को नृत्य करते हुए देखना एक दुर्लभ और आकर्षक दृश्य होता है, जो आमतौर पर मानसून के दौरान देखने को मिलता है। इसे “नागों का नृत्य” कहा जाता है, लेकिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह वास्तव में नृत्य नहीं होता।

वैज्ञानिक पक्ष:

जब दो सांप एक-दूसरे के साथ “नाचते” हुए दिखाई देते हैं, तो अक्सर यह प्रजनन या क्षेत्रीय अधिकार (territorial dominance) का हिस्सा होता है। ये दोनों नर सांप होते हैं जो किसी मादा के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे होते हैं। वे अपने शरीर को लपेटकर एक-दूसरे को ज़मीन पर दबाने की कोशिश करते हैं, और यह क्रिया एक “नृत्य” जैसी दिखती है।

आम धारणा:

लोग इस दृश्य को नाग और नागिन के प्रेम-नृत्य के रूप में देखते हैं, लेकिन वास्तविकता में यह प्रतिस्पर्धा है, न कि प्रेम।

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यदि चाहें तो मैं इस विषय पर एक संक्षिप्त लेख या सोशल मीडिया पोस्ट भी तैयार कर सकता हूँ।

बिलकुल! यहाँ वही जानकारी छत्तीसगढ़ी (सरल शैली में) दी गई है:

“नाग-नागिन के जोड़ी के नाचना – सच्चाई का झलक”

बरसात के समय कई बेर दिखे जाथे के नाग-नागिन एक संग नाचत हें। एला देख के मनखे मन सोचथें के ये प्रेम नाच हे। फेर असल म ए नाच नई होवय।

जेन सांप मन नाचत दिखथें, वो दरअसल दूनो नर (मादा नइ) सांप होथें। वो मन मादा सांप खातिर आपस म लड़थें – एक-दूसरा ला पछाड़े बर, अपन ताकत दिखाये बर। ये लड़ई म वो मन अपन देह ला लपेट-लपेट के उंचा करथें, जऊन ला लोग ‘नागिन के नाच’ समझथें।

माने:

ये प्रजनन के समय होथे – खासकर बरसात म।

नाच-जइसन दिखई देथे, फेर वो असल म लड़ई होथे।

मादा सांप बाद म ए लड़ई जीतइया नर संग जोड़ी बनाथे।

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