पहलगाम में धर्म पूछकर नहीं मारा, सरकार ने अपना नैरेटिव सेट किया’

यह कथन दो स्तरों पर काम कर रहा है:

  1. पहला भाग: “पहलगाम में धर्म पूछकर नहीं मारा”

यह दर्शाता है कि किसी हिंसक घटना (संभावित रूप से आतंकी हमले या हत्या) में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया गया। मतलब, हमला अंधाधुंध या ‘ब्लाइंड’ था – धर्म देख कर नहीं किया गया।

यह बयान उन नैरेटिव्स के विपरीत खड़ा होता है, जो अकसर हमलों को “धार्मिक लक्ष्यीकरण” के रूप में चित्रित करते हैं।

  1. दूसरा भाग: “सरकार ने अपना नैरेटिव सेट किया”

यह आरोप या टिप्पणी हो सकती है कि सरकार ने इस घटना को अपने हिसाब से प्रस्तुत किया – शायद जनता की भावनाओं को एक विशेष दिशा में मोड़ने के लिए।

यह “नैरेटिव सेट करना” अक्सर मीडिया, बयानबाज़ी और राजनीतिक स्पिन के ज़रिए किया जाता है।

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🧠 संभावित सन्दर्भ / राजनीतिक अर्थ:

यह कथन मीडिया, राजनीति या समाज में चल रहे नैरेटिव वार की ओर इशारा करता है, जहाँ घटनाओं की व्याख्या तथ्यों के बजाय एजेंडा या राजनीतिक लाभ के लिए की जाती है।

इसमें यह भी कहा जा सकता है कि तथ्यों की जगह “धारणा” को तरजीह दी जा रही है।

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