चुनाव आयोग ने हाल ही में घोषणा की है कि अब पूरे देशभर में (nationwide) Special Intensive Revision (SIR) यानी विशेष गहन पुनरीक्षण के तहत वोटर लिस्ट का अपडेट कराया जाएगा ताकि वोटर रॉल्स को अधिक सटीक, समावेशी और त्रुटि मुक्त बनाया जा सके ।
🧾 SIR क्या है — जानिए विस्तार से:
SIR यानी Special Intensive Revision एक विशेष चुनावी प्रक्रिया है जिसमें वोटर लिस्ट की दीवार-घर विजिट (house-to-house verification) के ज़रिए डुप्लीकेट, निर्बल समूहों, मृतक या दूसरी जगह चले गए नामों को हटाया जाता है और नए योग्य मतदाताओं को शामिल किया जाता है ।
ECI ने यह भारत की संवैधानिक जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि यह कदम लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत और निष्पक्ष बनाने के लिए उठाया जा रहा है ।
📍 पहला मॉडल बिहार — अब देशभर में लागू
यह प्रक्रिया सबसे पहले 24 जून 2025 को बिहार में शुरू की गई, जहाँ 01 जुलाई 2025 को पात्रता की दिनांक थी ।
बिहार में इसमें लगभग 65 लाख नामों को ड्राफ्ट लिस्ट से हटाया गया, जिसमें से अधिकांश प्रवासी, मृतक या डुप्लिकेट वोटर थे ।
अब ECI ने इस मॉडल को लेकर, पूरे देश में इसी तरह की SIR प्रक्रिया लागू करने का निर्णय लिया है ।
⚖️ लोकतांत्रिक प्रभाव और विवाद
विपक्षी दलों ने आरोप लगाए हैं कि यह प्रक्रिया गरीब, प्रवासी, और धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों को वोटर लिस्ट से बाहर करने का प्रयास हो सकती है ।
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में ध्यान दिया, और ECI को निर्देश दिया है कि Aadhaar, EPIC (वोटर ID), रेशन कार्ड आदि को यथासंभव वैध दस्तावेजों के रूप में मान्यता दे ताकि अधिक से अधिक योग्य मतदाता शामिल हों, न कि बाहर किए जाएं ।
सुप्रीम कोर्ट ने जोर दिया है कि यह प्रक्रिया ‘en‑masse inclusion’, यानी मतदाताओं को जोड़ने पर आधारित होनी चाहिए, exclusion पर नहीं ।
🛠️ प्रक्रिया और समय-सीमा
ECI की 24 जून 2025 की अधिसूचना के अनुसार, सिलेक्शन क्वालिफाइंग डेट 01 जुलाई 2025 है और इसके बाद EROs, BLOs द्वारा घर-घर जाकर Forms वितरित किए गए ।
ड्राफ्ट वोटर लिस्ट 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित की गई थी और 1 सितम्बर 2025 तक जनता या राजनीतिक दल दावे/आपत्तियाँ (claims & objections) दर्ज करा सकते हैं ।
ERO द्वारा प्राप्त आपत्तियों की समीक्षा होने के बाद अंतिम वोटर लिस्ट जारी की जाएगी, जिसके आधार पर आगे चुनाव होंगे ।
✅ निष्कर्ष — क्या बदलाव हो सकता है?
✅ देश भर में SIR लागू करने से वोटर लिस्ट और अधिक साफ और अद्यतन हो सकती है।
➕ लेकिन समावेशी प्रक्रिया सुनिश्चित करनी ज़रूरी है — ताकि योग्य मतदाताओं को निकाला न जाए।
⚠️ राजनीतिक दलों और सुप्रीम कोर्ट द्वारा उठाई गई सावधानियां यह बताती हैं कि यह प्रक्रिया संवेदनशील है और पारदर्शिता आवश्यक है।